सुंदर नगर पीपली बालाजी पर आखिर विजन अजमेर। एचएमटी घपलों की पोल खुलने के डर से केवल डीएफसीसीएल से मिलने कॉलोनी के सामने सुंदर नगर इनके पसीने छूट गए और बिना कहे वाली को अपने कब्जे में करना था। बालाजी के मंदिर की बंद पड़ी ही पूजा शुरू कर दी। उन्होंने पूर्व में जो बालाजी की मूर्ति पूजा-अर्चना मंदिर से जुड़े संदुर नगर बालाजी मंदिर थी उसे तथा पुराने पुजारी को भी पदाधिकारियों द्वारा आखिर वापस डीएफसीसीएल रेलवे लाइन बिछने अपने हितों के चलते रूख्सत कर शुरू कर दी गईइन लोगों ने अपने के साथ ही चर्चा में आया क्योंकि दिया। पुराने बालाजी अब नए स्थान हितों के खातिर बालाजी की पूजा यह वह बना था जहां से रेलवे ट्रेक पर विराजमान हो चुके है। जबकि को भी बंद कर दिया था। जब क्षेत्र गुजरने है। दरअसल में क्षेत्र के लोगों इन चंद लोगों ने मंदिर पर कब्जा के लोगों ने पूजा करने का जिम्मा ने आनन-फानन में एक कमेटी का करने की नियत से न केवल उठाने की तैयारी की तो आर्थिक गठन कर लिया जिसका मकसद मुआवजा राशि ले ली बल्कि क्षेत्र के
आखिर शुरू हुई पूजालोगों से बड़ी राशि का चंदा भी वसूल कर लिया। इतना ही नहीं जिसे इन्होंने खुद अध्यक्ष बनाया था उसे भी पद से चलता कर अपने आप के कार्रवाहक अध्यक्ष घोषित कर लिया। समिति का हाल यह हो गया कि जो भी कार्रवाहक अध्यक्ष के खिलाफमुंह खोले उसे तानाशाही रूप से नोटिस जारी करना शुरू कर दिया। हाल तो यहां तक पहुंच गए कि समिति के पदाधिकारी आर्थिक लेन.देन को लेकर आपस में उलझने लगे। कार्रवाहक किसी को हिसाब देने को तैयार नहीं। न ही समिति की आम सभा बुलाने को तैयार। मंदर का आलम यह हो गए की भगवान खुद भक्तों के लिए तरस गए और अंत में अपने हितों की पराकाष्ठा पार करते हुए इन पदाधिकारियों ने पूजाकृअर्चना तक बंद कर दी। जब क्षेत्र के कुछ लोगों ने इनकी इस पाखंड कार्रवाई पर विरोध जताया तथा पूजा-अर्चना शुरू करने को कहा तो वे उलट उनके खिलाफ ही भड़क उठे। इन्हें डर था कि पूजा उनके हाथ से गई और आर्थिक कमान सही लोगों के बीच चली गई तो उनकी पोल खुल कर सामने आने लगेगी। इस सब कार्रवाई में समिति के कार्रवाहक तथा एक क्षेत्र का लंपट व्यक्ति शामिल रहा जो दिन भर पटरी पर बैठ कर अपना जुगाड़ करता रहता है। यह छुटभैय्या गली पूजा-अर्चना छाप लंपट करने को कुछ नहीं करता लेकिन अपनी हरियाणवी में जोरजोर से बोल कर लोगों के कान जरूर खराब कर देता। लोग भी मजबूर क्योंकि छुटभैय्ये की जुबान बंद होने का नाम तक नहीं लेती। आपको बता दे यह छुट भैय्या कुछ दिनों तक पंचायती राज की एक जनप्रतिनिधि का कथित पीए बनने की कोशिश में लगा ताकि बिचौलिया की भूमिका निभा ले। शहर के प्रतिष्ठित पत्रकारों पर भी रोब झाड़ने की कोशिश करने लगा जब इसके अस्तित्व पर सवाल उठे तो जनप्रतिनिधि ने ही उसे दूर छिटक कर वापस सड़क पर ला दिया। दूसरा जो समिति का पदाधिकारी है वह अपनी नौकरी के समय से ही यूनियनों में बदनाम व चुगलखौर श्रेणी का रहा है। कहते है ना कि कुत्ते की पूंछ को बारह साल भी नली में रख दो तो वह सीधी नहीं होती ऐसा ही इन जनाब का है अपने रक्त में दौड़ रहे तितर के बाल वाले खून को आज तक जुदा नहीं कर सके है। फितरत के मुताबिक ये आए दिन अपनी टुच्ची नेतागिरी का जलवा दिखाते रहते है। खैर भगवान ने इन्हें देर से ही सही लेकिन सद्बुद्धी तो दी की उनकी पूजा अर्चना इन्होंने वापस यथावत शुरू कर दी। हालांकि क्षेत्रवासी इन दोनों की हरकतों से खुश आज भी नहीं नहीं है। Sanjay Shop विकास समिति ने झाडू